इस वीडियो में देखें गर्भ में शिशु की अठखेलियां, खांसना, छींकना, रोना और खेलना!
प्रेगनेंसी बेशक बड़ी मुश्किल होती है। नौ महीने आपको उल्टियाँ, पैरों में दर्द, पेट में गैस, सिर दर्द से गुज़रना पड़ता है। इन सबके बीच आपको खुद को संभालना भी पड़ता है। हमारी जो भी पाठिकायें गर्भावस्था के कठिन दौर से गुज़र रही हैं उन्हें हम कुछ मनोरंजक तथ्य बताना चाहेंगे।
1. छींकने से गर्भ में पल रहा आपका बच्चा चौंक जाता है
क्या आपको मालूम है की छींकने से आपका बच्चा घबरा जाता है? नहीं न? पर किसी भी तरह के ऊँचे स्वर जैसे की कुत्ते का भौंकना,कार के हॉर्न, लाउड स्पीकर द्वारा की गई घोषणा या आपका छींकना बच्चे के शरीर में कम्पन पहुंचा देता है।
2. आपका शिशु गर्भ में अंगूठा चूसता है
आप सोचती होंगी की बच्चे को अंगूठा चूसने की आदत कैसे पड़ी व इससे छुटकारा कैसे पायें? परन्तु यह आदत उसे कोख में पलते वक्त ही लग जाती है। सो आप बच्चे पर कोई गंभीर कदम न उठायें। धीरे-धीरे उनकी यह आदत खुद-ब-खुद छूट जाएगी।
3. आपका शिशु गर्भ में हिचकी लेता है
हर गर्भवती महिला अपने पेट के हिलने-उठने को महसूस कर सकती है। ऐसा तब होता है जब गर्भ में आपका शिशु हिचकी लेता है। चौंकिये नहीं क्योंकि यह एक प्राकृतिक क्रिया ही है।
4. बच्चा सूँघ सकता है
शिशु के सेन्स-ऑर्गन उसके जन्म लेने से पूर्व विकसित हो जाते हैं। पहली तिमाही के ख़त्म होने तक शिशु माँ के भोजन को सूँघ सकता है।
5. शिशु उबासी लेते हैं
शिशु को उबासी लेते देखना यकीनन खूबसूरत व प्यारा लगता है। परन्तु माँ की कोख में पल रहे शिशु के पास हिलने-डुलने के लिये कम जगह होती है। इसलिए वह कोख में उबासी लेते हैं।
6. शिशु सपने भी देखते हैं
शिशु के दिमागी विकास के दौरान उसमें सपने देखने की क्षमता आ जाती है। वह क्या स्वप्न देखता है यह तो सिर्फ उसे ही पता होगा। खैर! आप अगर अच्छे मूड में रहेंगी तो शिशु भी खुशहाल ख्वाबों में खोया रहेगा।
7. शिशु आपसे भोजन ग्रहण करता है
कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ जैसे की लहसुन, अदरक आपके एमनीओटिक फ्लूइड का स्वाद बदल सकते हैं। 15वें हफ्ते से शिशु मीठे खाने के प्रति अधिक झुकाव दिखायेगा व अधिक एमनीओटिक फ्लूइड को निगल लेगा। जब आप कड़वा खाना खायेंगी तब शिशु कम एमनीओटिक फ्लूइड निगलेगा। सो आप कुछ ऐसा भोजन खाएं जो आपके शिशु को भी पसंद आये।
8. शिशु अपनी आँखें खोलता है
आपका शिशु 28वें हफ्ते से पलकें झपकाने का प्रयास करेगा। वह अपनी आँखें खोलेगा। उनके लिये देखने के लिए कुछ ज़्यादा तो नही होता है, परन्तु शिशु आपकी नाभि से आ रही रौशनी से दूर जाने की कोशिश करते हैं।
9. शिशु गर्भ में पेशाब करते हैं
और तो और यह क्रिया एक सामान्य इंसान के पेशाब करने के समान होता है। पहले तिमाही के अंत तक आपका शिशु मूत्र पैदा करना शुरू कर देता है। एमनीओटिक फ्लूइड को शिशु निगलेगा, हज़म करेगा, उसकी किडनी उसे फ़िल्टर करेगी और वापस माँ के मूत्राशय तक पहुँचा देंगी। यह पूरी क्रिया निरंतर एक चक्र के रूप में लगातार चलती रहती है।
10. शिशु मुस्कुराता भी है
मुस्कुराने के लिए कुछ खर्च नहीं होता बल्कि प्यार की कमाई होती है। शिशु माँ के गर्भ में अच्छी भावनाओं के अनुभव से मुस्कुराता भी है। आप मद्धम मधुर गाने सुनती होंगी तब आपका शिशु उस अच्छी फीलिंग के अनुभव में मुस्कुराता होगा। हम उस मुस्कान की कल्पना मात्र से ही खिल उठते हैं।
11. आपका शिशु आपकी आवाज़ सुनता है
प्रेगनेंसी के आखरी 10 हफ़्तों में शिशु आपकी आवाज़ सुनने लग जाता है। भले ही वह आप क्या बोल रही हैं यह समझ न पाये परन्तु आपकी आवाज़ पर गौर फरमाने लगता है। सो आप आराम से, धीमे स्वर में बात करें। क्रोध न करें तथा जज़्बातों पर काबू रखें। आपके शिशु पर आपकी आवाज़ व आदतों का असर पड़ता है।
12. कुछ आँसू भी बहेंगे
नवजात शिशु अक्सर रोते हैं। पर फिर भी उनके प्रति आपकी चाहत कम न होगी। यह बात आपको ज़रा दुखी कर देगी परन्तु शिशु जन्म पूर्व ही माँ की कोख में आँसू बहाता है। पर यह प्रकृति के अनुरूप है क्योंकि इस प्रकार वह इस दुनिया में आने के लिए पूर्ण रूप से परिपक्व है यह सिद्ध हो जाता है। जन्म लेने के बाद शिशु के रोने को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि इससे उनके विंड पाइप यानि साँस लेने की नली का रास्ता साफ़ होता है।
ईश्वर ने हर चीज़ की रचना किसी मकसद से की है। सो आप किसी बात को लेकर चिंता न करें क्योंकि यह सब प्राकृतिक क्रियाएं हैं जिनका होना शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए अनिवार्य है।
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