शिशु पोषण : पौष्टिक भोजन और आपका बच्चा!
कोई भी दिन अस्पताल मे ऐसा नहीं होता जब कोई माँ डॉक्टर से यह ना कहे ,“कुछ कीजिए डॉक्टर साहब ! मेरा बच्चा कुछ नहीं खाता ”, और दादा-दादी पीछे बस सिर झुका कर खड़े रहते हैं । वास्तव में, इस तरह की शिकायत बहुत ही सामान्य बात होती है, परंतु उससे भी कठिन बात है , संतोषजनक जवाब दे पाना। एक नयी माता, परिवार वालों से ,मित्रों से ,इंटरनेट से ,सोशल मीडिया आदि अलग अलग स्रोतों से मिलने वाले सलाह से वह पूरी तरह परेशान हो जाती हैं| खाने के बारे में बहुत सारी परंपरागत दस्तूर,काल्पनिक कथाओं और ग़लतफ़हमी की वजह से भी वह और भी परेशान हो जाती हैं और उन्हें कुछ समझ नहीं आता कि क्या किया जाए ? बच्चे को खाना खिलाने के लिए एक घंटे से अधिक लगना मामूली बात हैं इसलिए इसमें घबरानें वाली कोई बात नहीं हैं । परंतु कई माता-पिता इस बात को लेकर बहुत चिंतित हो जाते हैं । यह मेरी ओर से उन सभी माता-पिताओं की जिंदगी को आसान बनाने का एक प्रयास है। (डॉ. नवीन किनी)
स्वस्थ आहार की शुरूआत हमेशा बाल्यावस्था में ही हो जानी चाहिए । स्वस्थ आहार की शुरूआत केवल बच्चे के छः महीने की आयु के पूरा होने के बाद ही होना चाहिए और तब तक आप स्तनपान ही करवाएँ । गाय के दूध का सबसे अच्छा वाला भाग बछडे के लिए होता है और बाक़ी का दूध बाजार में सभी दुकानों में बेचने के लिए रख दिया जाता हैं। केवल स्तनपान से ही बाल पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है जैसे कि मस्तिष्क के विकास में वृद्धि और पाचन शक्ति मे सुधार । स्तनपान की वज़ह से ही कान, सांस जैसे संक्रमण और डायरिया आदि बीमारियाँ कम होती हैं।
छठवेँ महीनें मे जब बच्चे से स्तनपान छुड़वाया जाता हैं तब माता-पिता को अपने बच्चे के बारे में जानने का एक और शानदार मौका मिलता हैं । भोजन में नए स्वाद और बनावट का अनुभव करने के लिए बच्चे की प्राकृतिक जिज्ञासा और उत्सुकता का उपयोग करें, ताकि भोजन उसके के लिए एक ऐसी गतिविधि बन जाए जो उसे बहुत पसंद हो । अगर बच्चे की पसंद को अच्छे से नहीं समझा गया तो खाना खिलाने की ज्यादातर समस्याँए इसी उम्र से शुरू हो जाती हैं ।अपने बच्चे के विकास के इस चरण का आनंद लेने के लिए अपने विचार ,गलत सलाह और व्यक्तिगत चिंताओं को अलग़ रखें नहीं तो यह आपके और आपके बच्चे के लिए शानदार की जग़ह तनावपूर्ण अनुभव होगा ।
इसके लिए यहाँ पर कुछ सुझाव हैं:
1. बच्चे की इच्छाओं का सम्मान करें और उसे जो खाना पसंद नहीं है वह उसे जबरदस्ती न खिलाएँ ।
2. बच्चे को भोजन कभी भी घुमाते हुए न खिलाएँ । यहाँ तक कि टीवी के सामने, घर के बाहर ,बगीचे में या सड़क पर भी नहीं । भोजन को हमेशा ‘ऊँची कुर्सी' ,खाने की मेज पर या एक ही स्थान बैठा कर खिलाना चाहिए।
3. अगर बच्चे का पेट भर गया हो तो बच्चे के साथ ज़बरदस्ती न करें और पूरी कटोरी खत्म करने की कोशिश भी न करें।
4. बच्चे को रोज़ एक ही तरह का भोजन बार-बार न खिलाएँ । यहां तक कि 8 महीने का बच्चा भी उन खानो से बहुत जल्द ही ऊब जाता है |
5. आप अपने बच्चे को अलग-अलग तरह के जायके वाली चीजें खिलाने की कोशिश कर सकते हैं । 1 वर्ष की आयु के बच्चे को वो सभी खाना आप दे सकती हैं जिसे आप ख़ुद नियमित रूप से खाती हैं। शिशुओं के लिए उपयुक्त भोजन जैसे कि मसला हुआ फल और सब्जियां, रागी दलिया, खिचड़ी , पोंगल, दाल और चावल और बाज़ार में आसानी से मिलने वाला अनाज भी शामिल हैं।
6. बच्चे को अपने हाथों से धीरे-धीरे खाना खाने के लिए प्रोत्साहित करें,उसे या तो अपनी उंगलियों या चम्मच का उपयोग करना सीखाएं | इस कौशल को 'हैंड माउथ कोआर्डिनेशन' कहा जाता हैं, जो आगे जाकर भविष्य में हस्तलेखन और चित्रकला में काफी उपयोगी सिद्ध होता हैं ।
मेरे बच्चे को कितनी बार भोजन करना चाहिए?
हमेशा बेहतर होता है कि दिन में 3 या 4 बार थोड़ा-थोड़ा भोजन किया जाए जैसे कि सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम का नाश्ता और रात का भोजन । सुबह का नाश्ता विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि आपने पूरी रात कुछ नहीं खाया होता हैं। सुबह के समय थोड़ा सा भोजन करने से आपको बाद में बहुत सारा भोजन खाने में रोक लगाने में काफी मदद मिलेगी। यह एक सामान्य बात है कि कुछ बच्चें विशेष रूप से जो सुबह अच्छे से नाश्ता नहीं करते उन्हें स्कूल में कुछ तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ता हैं। फिर वे पेट दर्द की शिकायत करते हैं और खाने के लिए ज़बरदस्ती करने पर उल्टी भी कर देते हैं। उन्हें स्कूल के वातावरण के अनुसार आदी होने तक अकेला छोड़ दिया जाता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप एक स्वस्थ नाश्ता भेजें जो बाद में अगर आपका बच्चा चाहें तो आराम से खा सकें।
मेरे बच्चे को क्या खाना चाहिए?
अधिकांश माता-पिता इस विषय पर गहराई से विचार करते हैं और यह एक विषय है जिसपरदुनिया भर में चर्चा होती हैं । विभिन्न काल्पनिक कथाएँ ,सांस्कृतिक मान्यताएँ, गलत धारणाएं और कभी-कभी अनावश्यक निष्कर्षों से भारी भ्रम और चिंता हो जाती है।
USDA (संयुक्त राज्य कृषि विभाग की शाखा ) द्वारा भोजन को लेकर कई सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं, जिसे कई दशकों से लोग अनुसरण भी करते आ रहे हैं । हम में से अधिकांश लोग वर्ष 1992 में प्रकाशित 'खाद्य पिरामिड' सिद्धांत से परिचित भी हैं।
यह मुख्य रूप से एक पिरामिड-आकार वाला रेखा चित्र है जो प्रत्येक महत्वपूर्ण भोजन समूहों से प्रतिदिन खाए जाने वाले भोजन की सही संख्या को दर्शाता है।
पिरामिड की कमियाँ :
1. खाद्य-पिरामिड में आधार के रूप में सबसे ज़्यादा पाव रोटी का अंश दिया गया हैं। खाद्य पिरामिड यह साबित करने में विफल रहा कि छिलका सहित गेहूँ, भूरे चावल और अन्य संपूर्ण अनाज शुद्ध किए गए अनाज की तुलना में स्वस्थ हैं।
2. मोटापे को दूर करने के लिए उपयोगी वसा जो कि पौधों के तेलों में पायी जाती है ,उन स्वास्थ्य लाभों को नजरअंदाज कर दिया गया हैं । इसके बजाय कम वसा वाले आहार की ओर इशारा किया गया हैं , जो रक्त कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल को खराब करता है और वजन को क़ाबू रख पाना कठिन हो सकता हैं ।
3. इसमें अस्वस्थ्य प्रोटीन (लाल माँस और संसाधित माँस) और स्वस्थ प्रोटीन (मछली, मुर्गी, बीन्स और नट ) को एक ही श्रेणी में एक साथ दर्शाया गया हैं ।
4. यहाँ दूध वाले उत्पादों के ज़्यादा महत्व दिया गया हैं ।
माए-प्लेट
माए-प्लेट USDA द्वारा प्रकाशित वर्तमान पोषण सुझाव है, जो एक खाद्य मंडल (यानी एक पाई चार्ट) की तरह हैं । जिसमें एक प्लेट और एक गिलास को पांच खाद्य समूहों में विभाजित किया गया हैं । इसने जून 2011 में USDA की 'खाद्य पिरामिड' सुझाव को बदल दिया था ।
माए-प्लेट पांच खाद्य समूहों को दिखाता है। इसमें एक परिचित कल्पना का उपयोग किया गया हैं जो
एक स्वस्थ आहार को तैयार के लिए बहुत जरूरी होता हैं। इसमें एक स्वस्थ भोजन के लिए जैसे फल, सब्ज़ियाँ,प्रोटीन, अनाज और दूध उत्पादों के लिए एक जगह स्थापित की गई हैं ।
माए-प्लेट गाइड जो मूल संदेश को व्यक्त करने की कोशिश करता है:
1. अपना आधा प्लेट फल और सब्जियों का बनाएँ ।
2. कम से कम आधा प्लेट संपूर्ण अनाज वाला बनाएँ ।
3. प्रोटीन के लिए बिना चरबी वाला माँस लें ।
4. सूप, रोटी, और जमे हुए भोजन जैसे खाद्य पदार्थों में से सोडियम (नमक) कम करें।
5. वसा रहित या कम वसा (1%) वाले दूध का प्रयोग करें।
6. शक्कर वाले पेय के बजाय पानी पीयें।
7. भोजन और शारीरिक गतिविधियों के बीच एक संतुलन बनायें रखें ।
8. भोजन का आनंद लें और कम खाए । ज्यादा खाना खाने से बचे ।
भोजन के समय को और अधिक सरल बनाने के लिए:
1. यह ध्यान दें कि हर भोजन जो आपका बच्चा खा रहा हैं,उस आधे प्लेट में सभी रंगों के फल और विभिन्न प्रकार की सब्जियां शामिल हो । (आलू और फ्रेंच फ्राइज़ उसमें नहीं गिना जाएगा )
2. ध्यान दें कि अनाज (चावल, चपाती, रोटी आदि) आपकें प्लेट में केवल एक चौथाई भर हो । पॉलिश अनाज को संपूर्ण अनाज के साथ बदल दें। उदाहरण के लिए सफेद चावल की जग़ह लाल रंग के चावल ज़्यादा खाएं ,रोटी के लिए सम्पूर्ण गेहूं के आटा का उपयोग करें । मैदे से बनाये गये पाव रोटी की बजाय सम्पूर्ण अनाज से बना पास्ता और गेहूं के आटे से बना पाव रोटी खाएं। पॉपकॉर्न बहुत कम नमक और मक्खन के साथ एक बहुत अच्छा और स्वस्थ नाश्ता है।
3. दाल ,सांभर,दाल फली ,बीज,अंडे या मांस,बादाम आदि दूसरें तिमाही प्रोटीन का स्रोत होना चाहिए। लाल मांस और संसाधित मांस की बजाय मछली और मुर्गी जैसे बिना चरबी वाले माँस चुनें।
4. दूध, दही ,पनीर, मिल्क-शेक आदि जैसे दूध वाले उत्पादों से अपनी कैल्शियम की दैनिक खुराक प्राप्त करें। 2 वर्ष से अधिक उम्र के दुबले-पतले बच्चों को कम वसा या स्किम्ड दूध की पेशकश की जा सकती है, और प्रति दिन 1 से 2 गिलास दूध का दिया जाना चाहिए । ऐसे बच्चें जिन्हें दूध ज़रा भी पसंद नहीं हैं उन्हें गैर डेयरी स्रोतों वाले कैल्शियम जैसे टोफू, मछली (सार्डिन, सैल्मन), पालक, मटर, ओकरा, सोयाबीन, तिल के बीज, बादाम, अंजीर, संतरे आदि दे सकते हैं ।
5. वसा और तेल का कम से कम प्रयोग करें। खाना पकाने के लिए वनस्पति तेलों का उपयोग करें जो MUFA(Mono Unsaturated Fatty Acids) और PUFA (Poly Unsaturated Fatty Acids) से संपूर्ण हो, जैसे कि सूरजमुखी, जैतून या चावल के चोकर का तेल। ठोस वसा से बचे जैसे कि मक्खन, घी या पशु वसा जिसमें अस्वस्थ सुखाया हुआ चरबीदार एसिड होता हैं। गहरे तेल में तलने की बजाय हल्का भून लें ।
बार्कर हाइपोथीसिस
जो बच्चे छोटे पैदा होते हैं या समय से पहले जन्म लेते हैं, वे विशेष रूप से भोजन आदि के मामले में कमजोर और दोष-युक्त होते हैं। माता-पिता की प्राकृतिक इच्छा होती है कि उनका बच्चा लंबा चौड़ा और गोल मटोल हो लेकिन वह इसके विपरीत होते है । वास्तव में इन बच्चों का सावधानीपूर्वक से पालन-पोषण और विकास को नियंत्रण करना पड़ता हैं ताकि उनका वजन सामान्य सीमा के भीतर ही रहे। इस तरह के बच्चे ज्यादातर मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, रक्तचाप और सदमा आदि से ग्रस्त होते हैं।
स्वस्थ भोजन की आदतें आम तौर पर वयस्क होने तक जारी रहती है और इसलिए यह आदत युवा अवस्था में ही शुरू कर देनी चाहिए । याद रखें, माता-पिता के रूप में आप अपने बच्चे के लिए एक आदर्श व्यक्ति हैं और अपने आहार के साथ एक अच्छा उदाहरण स्थापित करने का यह एक सबसे अच्छा तरीका है।
