पांच कारण, गर्भावस्था के फौरन बाद आपको दूध क्यों नहीं होता है?
शिशु का जन्म ऐसी चीज़ है जिसकी प्रतीक्षा हर मां करती है। सबसे आनंद का क्षण वह होता है जब वह अपने शिशु को बाहों में लेकर उसे स्तनपान कराती है। लेकिन कभी-कभार विभिन्न कारणों की वजह से निश्चित समस्याओं उत्पन्न होती है। कुछ मामलों में ऐसा भी होता है की शिशु को जन्म देने के बाद दूध नहीं होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की आप स्तनों से दूध उत्पादित करने में सक्षम नहीं है। कभी-कभार इस प्रक्रिया में विलम्ब होता है। यह निम्न कारणों से हो सकता है। यह कारण निम्न हैं :–
1. पहला शिशु
माताओं में दूध ना होने का एक सामान्य कारण यह है की वह उनका पहला शिशु होता है और यह परिवर्तन उनमें पहली बार हो रहा होता है। इसका मतलब यह है की उनके शरीर को थोड़ा और समय चाहिए और हार्मोन अब भी दूध उत्पादन की शुरुआत में लगे होते हैं। अगर आपके मामले में भी यह हो रहा है तो चिंता ना करें और दूध उत्पादन का प्रयास करें।
2. प्री-मैच्योर डिलीवरी
हालांकि आपका शरीर दूसरे तिमाही के अंत तक दूध का उत्पादन शुरू कर देता है लेकिन समय पूर्व प्रसव के तनाव के कारण इस दूध उत्पादन की प्रक्रिया में देर हो सकती है। साथ ही, कभी-कभार मां शिशु को स्तनपान में नहीं करा पाती है क्योंकि समय से पूर्व जन्म लेने के कारण वह इसका आदी नहीं होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, प्रयास करते रहे और ब्रेस्ट को पम्प करते रहे ताकि दूध निश्चित मात्रा में निकले।
3. हार्मोनल समस्याओं के कारण
कभी-कभार स्तनों के दूध का उत्पादन कुछ हार्मोनल बदलाव जैसे हाइपोथाइरिज्म या पी.सी.ओ.एस के कारण टल सकता है। इन हार्मोनल असंतुलन से स्तनपान की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है और मां को दूध उत्पादन में समस्या होती है। शिशु को दूध पिलाने का प्रयास करती रहें, आपको जल्दी दूध उतरने लगेगा।
4. प्लेसेंटा का टुकड़ा
शिशु को जन्म देने के बाद प्लेसेंटा वापस गर्भ में चला जाता है, जिसके बाद स्तनों से दूध उत्पादन की प्रक्रिया शुरू होती है। लेकिन कई बार प्लेसेंटा के कुछ टुकड़े गर्भ में रह जाते हैं और इससे जरूरी हार्मोन बदलाव नहीं हो पाता है। डॉक्टर आपके मामले में इसकी जांच करेंगे और टुकड़े को हटा देने के बाद दूध उत्पादन शुरू हो जाएगा।
5. ज्यादा वजन
अध्ययन में पाया गया है की स्तन के दूध का उत्पादन गर्भावस्था के दौरान बढ़ाए गए वजन की वजह से घट सकता है। बड़े हुए वजन के कारण हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे स्तन ग्रंथी और दूध का उत्पादन प्रभावित होता है। शिशु को दूध पिलाने का प्रयास करते रहे और इससे दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
