Amniotic fluid क्या होता है? यह शिशु को गर्भ में कैसे मदद करता है?
प्रत्येक महिला जब गर्भ धारण करती है तो शिशु उसके गर्भाशय में जाकर पनपने लगता है। वह एक विशेष थैली में पलता है जिसके अंदर शिशु के पोषण के लिए एम्नियोटिक फ्लूइड यानि रक्त-पोषक तत्व का मिश्रण होता है।
एमनियोटिक द्रव्य का नियमित रुप से पुनःनिर्माण होता रहता है। माँ का शरीर इसे पैदा करता है और गर्भनाल के माध्यम से इसे शिशु तक पहुंचाता है। भ्रूण एमनियोटिक द्रव्य को 24 सप्ताह से पूर्व आँतों के माध्यम से दोबारा अपने बदन में सोक लेता है।
एमनियोटिक द्रव्य किस चीज़ का बना होता है?

पहली तिमाही में एमनियोटिक द्रव मुख्य रूप से खनिज पदार्थ एवं पानी से निर्मित होता है। किन्तु 12-14 सप्ताह के बाद भ्रूण के विकास के लिए सभी आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फॉस्फोलिपिड और यूरिया इत्यादि भी मौजूद रहते हैं।
एमनियोटिक द्रव्य की मात्रा?

प्रारंभिक काल में गर्भकाल व भ्रूण के विकास के साथ एमनियोटिक द्रव्य की मात्रा निरंतर बढ़ती है। 28 सप्ताह के गर्भकाल पर लगभग 1-1.2 लीटर की ऊंचाई तक पहुँचकर फिर उसमें समय के साथ गिरावट आती है। जन्म के समय यह 800-1000 मिलीलीटर तक होती है और तद्पश्चात यह तेजी से कम होती चली जाती है।
एम्नियोटिक द्रव्य का महत्व?
1. शिशु के चारों ओर कोमल वातावरण प्रदान कर यह विकासशील भ्रूण को बाहरी झटकों और क्षति से बचाता है।
2. यह भ्रूण को हलचल के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करता है ताकि माँसपेशियों और कंकाल का समोचित विकास हो सके।
3. एमनियोटिक द्रव्य का भ्रूण द्वारा निगलकर आँतों के माध्यम से अवशोषण आँतो और पाचनतंत्र के विकास में योगदान देता है। इसके माध्यम से शिशु के पहले मल (meconium) का निर्माण होता है।

4. गर्भाशय के आंतरिक दाब को कम कर यह भ्रूण के फेफड़ों के समोचित विकास की अनुमति देता है।
5. एमनियोटिक द्रव्य में भ्रूण की कोशिकाऐं उपस्थित होती है, जिन्हें विशिष्ट परिस्थितियों में ऐम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis) नामक प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त कर आनुवंशिक रोगों का निदान किया जाता है।
6. कुछ परीक्षणों में एमनियोटिक द्रव्य में उपस्थित Lecithin-Sphingomyelin नामक रसायनिक तत्वों की मात्रा की जाँच की जाती है। Lecithin-Sphingomyelin की मात्रा को मापा जाता है और इससे भ्रूण के फेफड़ों की परिपक्वता जानने में मदद मिलती है।

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