6 से 12 माह के शिशुओं के लिए आसान और मज़ेदार खेल-कूद एक्टिविटीज
जिस प्रकार वयस्कों को आराम और मौज मस्ती की ज़रूरत होती है , उसी प्रकार शिशुओं की देखभाल को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते । शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए माँ का दूध , पर्याप्त नींद और थोड़ी-बहुत शरीर की चहल-पहल भी ज़रूरी है । शिशु का शरीर आराम और काम के ताल-मेल के बीच में होना चाहिए । हम आपको कुछ मुफ्त,सरल और घरेलु नुस्खे बताना चाहते हैं जिनसे आपका शिशु हल्की-फुल्की गतिविधि में लगा रहेगा !
1. छुपन-छुपाई
इसके लिए हमे चाहिए - कुछ छोटे खिलौने या किताबें और एक रजाई
करना क्या है ? खिलौने या किताब को रजाई के नीचे छिपा दें लेकिन थोड़ा सा दिखा दें। फिर शिशु को पूछें की सामान कहाँ है ? इसके अलावा जब आपका शिशु सामान को ढूंढ लेगा तो आप वस्तु को पूरी तरह से भी छिपा सकती हैं ।
लाभ : बच्चे का मानसिक विकास और सोचने की क्षमता बढ़ेगी ।
2. एक के ऊपर एक चीज़े रखना
इसके लिए हमे चाहिए - प्लास्टिक या पेपर के डिस्पोजेबल कप्स या गिलास
करना क्या है ? आप गिलासों को एक के ऊपर एक रख दें ताकि वो एक किले जैसा दिखे ! बाद में उसे गिरा दें , या फिर अपने शिशु के साथ मिलकर गिलासों को जल्दी जल्दी सजा सकती हैं !
लाभ : बच्चे को बनाने और बिगड़ने का अंतर समझ आयेगा , साथ ही गति बढ़ेगी
3. पज़ल्स यानि पहेली
इसके लिए हमे चाहिए - पेपर या प्लास्टिक के पज़ल्स
करना क्या है ? आप शिशु के सामने पहले एक साफ़ और सपाट पज़ल रखें ! फिर उसे बिखेर दें ! अब शिशु को वापस पहले जैसा लगाने के लिए बोलें !
लाभ : बच्चे की दॄष्टि तेज़ होगी तथा सोच बढ़ेगी , वह कारण समझ पायेगा !
4. कहानी सुनाना
इसके लिए हमे चाहिए : चित्रों से भरी या परियों / पौराणानिक कथा पुस्तक
करना क्या है ? अपने शिशु के लिए रोज़ाना एक या दो किताबें पढ़ें ! कोशिश करियेगा की पढ़ने के साथ साथ आप उन्हें किताबों के चित्र भी दिखा दें !
लाभ : शिशु का व्याकरण और भाषा विकास !
5. ताली बजाना
करना क्या है ? शिशु के साथ लोरी या राइम पढ़ें ! साथ ही हँसते मुस्कुराते चेहरे के साथ उनके सामने तालियाँ बजायें ! शिशु को भी अच्छा लगेगा !
लाभ : शिशु को तनाव मुक्त रखेगी और माँ-बच्चे के बीच रिश्ता बढ़ेगा !
6. बोतल के अंदर रंग-बिरंगे वस्तुएं
इसके लिए हमे चाहिए : एक बोतल , आपकी पसंद का कोई भी सामान जिसका रंग भिन्न हो
करना क्या है ? अपने शिशु के सामने बोतल में अलग अलग वस्तुएं भरिये ! फिर उन्हें बच्चों से बोलें ! शिशु को बता दीजियेगा की चीज़ों को उनके रंग के आधार पर अलग-अलग करके रखें !
लाभ : शिशु को रंगों के बीच भेद मालून पड़ता है !
